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इक्कीसवीं सदी को इक्कीसवां साल लग रहा है...!
इक्कीसवीं सदी को इक्कीसवां साल लग रहा है...! इसलि ए नहीं कि आज की तारीख चालू साल की आखिरी तारीख है और जिसे फिर दोहराया नही जा सकगा, इसलिए ...
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नए वर्ष पर मेरे मित्र श्री पराग डिमरी का एक अनुपम , अद्भुत , सार्थक और सजीव सन्देश प्राप्त हुआ जिसने मुझे मुग्ध कर ...
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खाकी वर्दियों का जंगल श्री ककरलापुड़ी नरसिम्हा योग पतंजलि जिन्हें प्यार से सभी के. एन. वाय. पतंजलि कहा करते थे, तेलुगु के सिद्धहस्त ...
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मानव, जीवन की आपाधापी में अपनी छोटी -छोटी इच्छाएं स्थगित करता चलता है। जबकि जीवन में कभी कल नहीं होता जब भी होता है आज ही होता है। छो...