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मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

वो फिर नहीं आते

मानव, जीवन की आपाधापी में अपनी छोटी -छोटी इच्छाएं स्थगित करता चलता है। जबकि जीवन में कभी कल नहीं होता जब भी होता है आज ही होता है।  छोटी - छोटी  खुशियों के इसी स्थगन पर एक  मार्मिक कहानी।

 वो फिर नहीं आते 

इक्कीसवीं सदी को इक्कीसवां साल लग रहा है...!

  इक्कीसवीं सदी को इक्कीसवां साल लग रहा है...! इसलि ए नहीं कि आज की तारीख चालू साल की आखिरी तारीख है और जिसे फिर दोहराया नही जा सकगा, इसलिए ...